कैसे पता करें कि कुंडली में है Mangal Dosha, प्रभाव और उपाय
Mangal Dosha II Mangalik Dosha II मंगल दोष ।। मांगलिक दोष ।। मंगल दोष के प्रभाव ।। कुंडली में मंगल दोष ।।
मांगलिक दोष वाला व्यक्ति
Mangal Dosha, मांगलिक दोष या कुजा दोष अगर आपकी कुंडली में है तो वैदिक ज्योतिष के अनुसार आप मांगलिक है। आप ऊर्जा से भरे रहेंगे, हर काम को आगे बढ़कर करेंगे, जीवन के प्रति आपकी सकारात्मक सोच होगी लेकिन आपके विवाह में अड़चने आएंगी, देरी होगी और विवाह होने के बाद जीवनसाथी के साथ कलह और मनमुटाव की स्थिति बनी रहेगी।
वैवाहिक जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाला यह दोष कई बार जीवनसाथी की सेहत और प्राण तक के लिए खतरनाक होता है। इसलिए विवाह के लिए कुंडली मिलान के समय वर और वधु की कुंडली में Mangal Dosha की उपस्थिति को अनिवार्य रूप से जांचा जाता है।
इस लेख में हम Mangal Dosha को संपूर्ण रुप से समझेंगे जहां इस दोष के विषय में आपके मन में उठने वाले हर प्रश्न का उत्तर आपको प्राप्त होगा।
कुंडली में मंगल की स्थिति और Mangal Dosha
क्यों होता है Mangal Dosha ?
किसी के मन में उठने वाला यह बहुत सामान्य प्रश्न है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में मंगल की स्थिति यदि किसी भी प्रकार से विवाह के भाव को प्रभावित कर रही हो तो कुंडली में मंगल दोष उत्पन्न होता है अर्थात यदि मंगल आपकी कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में हो तो यह मांगलिक दोष उत्पन्न करता है। आइए विस्तार से समझते हैं:
पहले घर में मंगल से उत्पन्न मांगलिक दोष का कारण और प्रभाव
पहले घर में मंगल आपको अति-आत्मविश्वासी बनाता है। आपका व्यक्तिव मुखर होता है और आप प्रभावशाली व्यक्तित्व के होते हैं। यहां से मंगल की सप्तम दृष्टि आपके विवाह के भाव (सप्तम) में होती है। वैवाहित संबंधों में अहमं बिल्कुल अच्छा नहीं होता लेकिन मंगल की लग्न में उपस्थिति आपको अहंकारी बनाती है। इसलिए इस मांगलिक दोष का सीधा प्रभाव आपको वैवाहिक जीवन में दिखाई देता है। यह क्लेश, झगड़े और संबंध विच्छेद तक की स्थिति ला देता है।
चौथे घर में मंगल से उत्पन्न मांगलिक दोष का कारण और प्रभाव
चौथे घर में मंगल अपनी चौथी दृष्टि से विवाह के भाव को देख रहा होता है। तो यह वैवाहिक जीवन में एक मनमुटाव तो पैदा कर ही देता है। इसके अलावा चतुर्थ भाव माता से संबंधित है। चतुर्थ भाव में मंगल मातृ सुख में कमी दर्शाता है। ऐसे लोग मृदुभाषी नही होते इस कारण से वैवाहित स्थिति के बाद इन्हें घुलने मिलने में परेशानी होती है। चीजों को मन मुताबिक करने की जिद ही दाम्पत्य जीवन में कलह का कारण बनती है।
सातवें भाव में मंगल से उत्पन्न मांगलिक दोष का कारण और प्रभाव
यह मंगल दोष बहुत प्रबल माना जाता है। सप्तम भाव में मंगल की स्थिति जीवनसाथी का प्रभावशाली व्यक्तित्व दिखाता है। आपका साथी इतना प्रभावशाली होता है कि आप उसके सामने खुद को छुपा हुआ समझते हैं और आपकी यही कुंठा वैवाहिक जीवन में अलगाव का कारण बनती है।
आठवें भाव में मंगल से उत्पन्न मांगलिक दोष का कारण और प्रभाव
आठवें भाव का वैवाहिक जीवन से कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन उसके बाद भी यह सबसे घातक मांगलिक दोष है। इस भाव में यदि मंगल है तो वह आपके साथी के प्राणों के लिए सीधा-सीधा खतरा है।
इस भाव से साथी की आयु और मृत्यु का विचार किया जाता है। अत: इस भाव में मंगल आपको प्रबल मंगली बनाता है और यदि आपका विवाह किसी ऐसे व्यक्ति से हो जाता है जो मांगलिक नहीं है तो आपको मंगलदोष निवारण के कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए।
12वें भाव में मंगल से उत्पन्न मांगलिक दोष का कारण और प्रभाव
इस भाव में मंगल हो तो वह अपनी अष्टम दृष्टी से विवाह के भाव को देखता है। यहां मंगल आपको अनैतिक बनाता है और अपने बल का इस्तेमाल दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए करते हैं। ऐसी स्थिति में इस मंगल का प्रभाव सप्तम भाव में भी आता है और वैवाहिक जीवन में यह तनाव और मनमुटाव देता है। आग आदि से नुकसान भी इस अवस्था में होना संभव होता है।
साधारण शब्दों में कहें तो मंगल का विवाह के भाव में प्रभाव आपके रिश्ते में दरार पैदा करता है क्योंकि मंगल तेज ग्रह है और इसके प्रभाव भी वैसे ही होते है लेकिन विवाह के बंधन में बंधने के बाद साथी के साथ आपका व्यवहार कोमल ओर मृदु होना चाहिए जो प्रभावी मंगल के साथ संभव नहीं होती। इसलिए यह वैवाहिक संबंधों में मनमुटाव पैदा करता है।
अगर आपकी कुंडली में मंगल की स्थिति इनमें से कहीं पर है और आप उसकी गंभीरता का आंकलन या कुंडली अनुसार प्रभावी उपाय जानना चाहते हैं तो 9118877495 पर वाट्सअप करें।
Mangal Dosha का प्रभाव
Mangal Dosha का प्रभाव वैवाहिक जीवन पर होता है। इसका असर अपने साथ साथ जीवनसाथी के जीवन पर पड़ता है। आइए समझते हैं:
विवाह में देरी
Mangal Dosha वाले व्यक्तियों का विवाह देरी से होता है। इन्हें अपने लिए उपयुक्त जीवन साथी ढूंढने में बहुत समय लगता है और अगर ये किसी को पसंद कर लें तो भी कई प्रकार की बाधाएं आ जाती है। Mangal Dosha कुंडली में हो तो आमतौर पर 30 से 35 वर्ष की आयु में विवाह होता है।
संघर्ष और विवाद
वैसे तो मंगल प्रभावी हो तो आए दिन लोगों से अनबन होती है लेकिन उसका कोई खास प्रभाव आपके जीवन में नहीं पड़ता। लेकिन मांगलिक कुंडली में यह जीवनसाथी के साथ मनमुटाव व तनाव पैदा करता है। जिस कारण से व्यक्ति को परेशान होना पड़ता है। इस दोष के प्रभाव में जीवन साथी के साथ कभी भी एकमत नहीं हुआ जा सकता है।
स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां
कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि मंगल दोष के कारण साथी के स्वास्थ्य में परेशानी होती है। यह दोष आपके जीवनसाथी को रक्त और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी परेशानियां देता है। मंगल दोष के कारण तनाव और इससे जुड़ी अन्य परेशानियां भी साथी को घेर लेती हैं।
आर्थिक कठिनाइयां
ऐसा देखा गया है कि मंगलदोष से पीडित व्यक्ति का जीवनसाथी और वह स्वयं भी आर्थिक मामलों में परेशानियों का सामना करते हैं। जीवन में यह स्थिति विवाह के बाद ही उत्पन्न होती है। जिससे पूरा परिवार प्रभावित होता है।
विवाहेत्तर संबंध
मंगलदोष हो तो जीवनसाथी या स्वयं आप भी विवाहेत्तर संबंधों में लिप्त हो जाते हैं। यह विशेषकर 12वें भाव में मंगल हो तो दिखाई देता है। इस कारण से रिश्तों में तनाव आता है तथा संबंध विच्छेद भी संभव होता है।
जीवनसाथी से दूरी
मंगलदोष यदि बहुत प्रबल हो या आठवें भाव में मंगल ग्रह के होने से उत्पन्न हुआ हो तो यह पाया गया है कि जीवनसाथी के प्राणों की हानि भी संभव है। जीवनसाथी अक्सर दुर्घटना आदि का शिकार होता है और उसे रक्तपात भी होता है।
Mangal Dosha से जुड़ी यह संपूर्ण जानकारी ज्योतिषीय ग्रंथो के अघ्ययन पर आधारित है। ग्रह दशा को जान-समझकर अगर सचेत रहें और छोटे-छोटे उपाय करें तो ग्रहों से मिलने वाली बड़ी से बड़ी परेशानियों को टाला जा सकता है:
Mangal Dosha के उपाय
शास्त्रों में और ज्योतिषीय मत के अनुसार मंगलदोष के साथ विवाह करना वैवाहिक जीवन में लिए शुभ नहीं है। किन्तु ऐसे लोगों का विवाह ही न हो यह भी तर्क संकत नहीं है तो इसके लिए कई छोटे-बडें उपाय बताए गए हैं जिन्हें करके इस दोष से मुक्त हो सकते हैं और मंगलदोष वाले लोग सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकते हैं यहां कुछ सामान्य उपाय दिए गए हैं:
कुंभ विवाह
Mangal Dosha से मुक्ति के लिए यह सबसे प्रचलित उपाय है जिसमें Mangal Dosha वाले व्यक्ति को अपने विवाह से पहले केले के पेड़, पीपल के पेड़, घड़े या फिर भगवान विष्णु की चांदी की मूर्ति से विवाह करवाया जाता है। विवाह के बाद इन्हें दान अथवा नष्ट कर दिया जाता है जिसे इस दोष का अधिकतम प्रभाव समझा जाता है। और इसके बाद व्यक्ति की कुंडली से Mangal Dosha का प्रभाव खत्म हो जाता है।
उपवास अथवा व्रत
मंगलवार के दिन उपवास रखकर हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए और उनसे अपने दाम्पत्य जीवन में सुख और अपनी जीवनसाथी की लंबी आयु की कामना की जानी चाहिए। ऐसा करने से मन में प्रेम भाव आता है और जीवनसाथी के ऊपर आने वाले सारे कष्ट टल जाते हैं।
दान
वेदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों से संबंधित दान देने से उस ग्रह के दुष्प्रभावों का नाश होता है। ग्रह से संबंधित दान केवल तब करना चाहिए जब वह ग्रह गलत प्रभाव दे रहा हो या नुकसान करने की स्थिति में हो। अत: अगर मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए दान करना है तो आपको लाल कपड़े, लाल मसूर, बूंदी और तांबा जैसी वस्तुओं का दान करना चाहिए।
3 मुखी रुद्राक्ष भी मंगलदोष से मुक्ति का एक प्रभावशाली उपाय है।
पूजन
Mangal Dosha से पीडित है तो ‘भात पूजा’ से मंगल ग्रह के शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। यह मंगल दोष को खत्म कर देता है और आपको इस ग्रह के शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं। यह सबसे प्रभावशाली तरीका है मंगलदोष को समाप्त करने का किन्तु इसमें अधिक समय और पूजन में अधिक खर्च होता है। इसे निश्चित मुहुर्थ में सक्षम ब्राह्मण द्वारा किया जाता है।
इन में से किसी भी एक उपाय से आप मंगल दोष के दुष्प्रभावों को नियंत्रित कर सकते हैं। इस संबंध में यदि आप अनुभवी ज्योतिषाचार्यों से परामर्श चाहते हैं तो हमें 9118877495 पर लिखें।
यह सब समझते हैं कि Mangal Dosha दो शब्दों से मिल कर बना है ‘मंगल’ और ‘दोष’ जो कि स्वयं ही यह बता रहा कि मंगल ग्रह के नकारात्मक फल इस दोष में प्राप्त होते हैं। इस प्रकार, मंगल दोष किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह के हानिकारक प्रभाव को दर्शाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह दोष तब होता है जब मंगल जन्म कुंडली में विशिष्ट घरों में स्थित होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में संभावित चुनौतियां पैदा होती हैं, खासकर विवाह के संदर्भ में।
यह भी समझें
Mangal Dosha वेदिक ज्योतिष में सामान्य रुप से पाया जाने वाला दोष है और लगभग हर व्यक्ति के जीवन में इस दोष से संबंधित चर्चाएं होती हैं। जो भी व्यक्ति ज्योतिषय के ज्ञान और ग्रहों के जीवन पर प्रभाव को मानता और समझता है वो इस दोष को नजरअंदाज नहीं करता है। ऐसे लोगों के लिए यह जानकारी बहुत मूल्यवान है और इससे वह अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
हिन्दु रीति-रिवाजों में ना जाने कितने ही विवाह वर या वधु के मांगलिक होने के कारण नहीं हो पाते और तो और ऐसे लोग अपने लिए मांगलिक साथी ही खोजते हैं जिन्हे अपने मांगलिक होने का ज्ञान होता है।
ज्योतिषिय पूर्ण रुप से विश्वास का विषय है और हम आपको आपको इस विश्वास का लाभ मिले इसके लिए ऐसी और भी जानकारी एकत्र करके आपके सामाने प्रस्तुत करते रहेंगे।
Mangal Dosha से संबंधित कुछ सामान्य प्रश्न
क्या Mangal Dosha बहुत घातक योग है।
वैवाहिक जीवन में शांति और मधुरता में बाधक तो है लेकिन मंगलदोष इस प्रकार घातक नहीं है यदि वेदिक उपायों पर ध्यान दिया जाए।
मुझे Mangal Dosha है तो क्या मुझे विवाह नहीं करना चाहिए।
नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है आप किसी मांगलिक जीवनसाथी को ढूंढ कर उनसे विवाह कर सकते हैं। इसके अलावा आप घट विवाह करने के बाद भी सामान्य रुप से विवाह कर सकते हैं।
Mangal Dosha का सबसे प्रभावशाली उपाय कौन सा है।
वैसे तो सभी उपाय मंगलदोष के प्रभाव को खत्म करते हैं लेकिन सबसे प्रभावशाली उपाय ‘भात पूजन’ का ही होता है।
कैसे होता है Mangal Dosha।
यह कुंडली में मंगल की स्थिति के आधार पर निर्भर होता है। जब भी मंगल का संबंध किसी भी प्रकार से विवाह के भाव से होता है तो वह स्थिति मांगलिक दोष उत्पन्न करती है। अर्थात जब मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में हो तो व्यक्ति मांगलिक कहलाता है।
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