धनतेरस: धन, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक
धनतेरस 2023।। Dhanteras 2023 II धनतेरस मान्यताएं।। धनतेरस पूजा का फल।। धनतेरस से जुड़ी कहानियां।। धनतेरस के उपाय।।
10 नवंबर 2023 | शुक्रवार | शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजे तक | धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त |
धनतेरस का महत्व:
Dhanteras, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2023 को यह तिथि 10 नवंबर को है। इस त्योहार को दिवाली के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है और भारत भर में यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इसे ‘धनत्रयोदशी’ या ‘धन्वंतरि त्रयोदशी’ भी कहा जाता है।
Dhanteras का अध्यात्मिक और सामाजिक महत्व है। इस दिन धनवंतरी भगवान की पूजा होती है जिसके आशीर्वाद से स्वास्थ्य और संमृद्धि की प्राप्ति होती है।
सामाजिक मान्यताएं:
जैसा कि हम जानते हैं Dhanteras के दिन विभिन्न उपायों और पूजन के माध्यम से धन, समृद्धि और स्वास्थ्य को आकर्षित किया जाता है। इसको लेकर कुछ मान्यताएं प्रमुख हैं:
- इस दिन सोना अथवा चांदी के सामान आदि को खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में समृद्धि आती है। Dhanteras के दिन सोने चांदी की दुकानों की सजावट देखते ही बनती है साथ ही इस दौरान ये दुकाने ग्राहकों से भी खचाखच भरी रहती हैं।
- Dhanteras के दिन घर में कोई नया बर्तन खरीद कर लाने की भी मान्यता है। नया बर्तन लाकर पूजन के बाद रसोई में इसका उपयोग करने से किचन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती। साथ ही घर परिवार में सभी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
- Dhanteras के दिन धनिया के बीज को खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से धन और समृद्धि आकर्षित होती है।
- Dhanteras के दिन झाडू खरीदने की भी परंपरा है। यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए खरीदी पूजी जाती है।
- Dhanteras दीपावली पर्व का पहला दिन होता है। इसलिए इस दिन घर के बाहर दीप जलाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दीप को लांघ कर कोई भी समस्या या विपदा आपके घर में प्रवेश नहीं कर पाती और पूरा परिवार दीर्घायु होता है।
धनतेरस की पूजा से मिलने वाला फल :
लंबी उम्र:
धनतेरस के दिन अगर सच्ची श्रृद्धा से पूजा की जाए तो परिवार के लोगों को दीर्घायु प्राप्त होती है और अकाल मृत्यु टल जाती है। इसके पीछे राजा हीमा की प्राचीन कहानी है। राजा हीमा को एक दिन यह पता चला कि यमराज उन्हें लेने आ रहे हैं। इसके बाद राजा घबरा गए और तप किया तो भगवान ने प्रसन्न होकर एक उपाय दिया और कहा कि यमराज कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को आएंगे। इस दिन तुम अपना सारा स्वर्ण-चांदी अपने घर के दरवाजे पर रखना और वहीं दीप भी जलाना। राजा ने ऐसा ही किया। यमराज सर्प का रूप लेकर राजा के प्राण हरने के लिए आए स्वर्ण-चांदी और दीपक की चमक से सांप की आंखे चली गई और राजा हीमा के प्राण बच गए।
बस इसके बाद से ही धनतेरस के दिन अकाल मृत्यु से बचने के लिए लोगों ने यही उपाय करना शुरू कर दिया।
धन की प्राप्ति:
धनतेरस के दिन धन प्राप्ति की कामना के साथ लोग श्री कुबेर जी की पूजा करते हैं। यहां भी एक प्राचीन मान्यता है कि इस दिन धन के देवता कुबेर पृथ्वी लोक पर आते हैं। वह प्रसन्न हुए तो घर को धन-धान्य से भर देते हैं। इसलिए लोग कुबेर देवता की पूजा करते हैं घर की सफाई करते हैं मिष्ठान आदि मंदिर में रखकर, दीप जलाकर कुबेर देव की पूजा करते हैं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए
धनतेरस को लेकर एक और प्राचीन कहानी है। इस दिन समुद्र मंथन से हाथ में अमृत का कलश लेकर भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे। धनवंतरी आयुर्वेद के ज्ञाता हैं और उन्हें पृथ्वी का प्रथम चिकित्सक माना जाता है। लोग अपनी और अपने परिवार की सेहत के लिए धनवंतरी भगवान की पूजा भी इस दिन करते हैं।
कैसे मनाया जाता है धनतेरस
भारत विभिन्नता का देश है। यहां हर त्योहार को मनाने का ढंग कुछ कुछ किलोमीटर बाद बदल जाता है। इसी प्रकार धनतेरस को भी कई प्रकार से लोग मनाते हैं लेकिन कुछ मूलभूत चीजें हैं जो लगभग भारत के हर परिवार में की जाती है इस दिन:
सबसे पहले तो घर की सफाई कर, घर के कोने कोने को साफ किया जाता है। अच्छे पकवान बनते हैं और शाम को घर के बड़े बाजार जाते हैं वहां अपनी क्षमता अनुसार स्वर्ण, चांदी, बर्तन, झाडू, धनिया आदि खरीदते हैं। इसके बाद घर लौट कर घर के दरवाजे पर दीप जलाते हैं और फिर भगवान कुबेर और भगवान धनवंतरी की पूजा करते हैं।
पूजा के बाद प्रसाद बांटा जाता है और इसके बाद पूरे परिवार के साथ अच्छा भोजन करते हैं। इस प्रकार से दीपावली के पांच दिन के त्योहार का यह पहला दिन होता है जिसे पूरे जोश और भक्ति से मनाया जाता है।
ऐतिहासिक कहानियां:
धन्वंतरि कथा
धन्वंतरि त्रयोदशी पर धन्वंतरि भगवान के अवतरण का माना जाता है, जो औषधियों के देवता हैं। इसका उल्लेख वेदों में भी है, और उनकी पूजा स्वास्थ्य की रक्षा के लिए की जाती है।
समुद्र मंथन कथा
धनतेरस का इतिहास महाभारत महाकाव्य में समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। इस घटना के दौरान धन्वंतरि भगवान अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे।
राजा हीमा की कहानी
प्राचीन समय में हीमा नाम के राजा थे जिन्हें उनके ज्योतिष ने बताया की कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यमराज उनके प्राण हरने आएंगे। इसके उपाय स्वरूप राजा ने तप करके एक युक्ति प्राप्त की और इस दिन अपने मुख्य दरवाजे पर अपनी संपूर्ण स्वर्ण-चांदी रख दी और दीपक जलाकर पूरे राज्य को जगमग कर दिया। भविष्यवाणी के अनुसार यमराज नाग के रुप में राजा हीमा के प्राण हरने आए लेकिन दीपक और स्वर्ण की चमक से उनकी आंखे चली गई और वह राजा हीमा को पहचान नहीं पाए और चले गए। इस प्रकार राजन ने अपने प्राणों की रक्षा की।
निष्कर्षण:
धनतेरस, धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के अर्थ में बहुत महत्वपूर्ण है। इसे धन और स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए मनाया जाता है। दीपावली के त्योहार की शुरूआत भी इसी दिन से हो जाती है। हम सबको यह त्योहार पूरी हिन्दू वैदिक मान्यताओं के साथ अपने और अपने परिवार की कुशलता संपन्नता और स्वास्थ्य की कामना के साथ मनाना चाहिए।
धनतेरस से जुडे प्रश्न FAQs
साल 2023 में धनतेरस कब है और पूजा मुहुर्थ कब है।
इस वर्ष धनतेरस 10 नवंबर 2023 को शुक्रवार को है और पूजा का समय शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजे तक का है।
धनतेरस में क्या खरीदा जाता है।
धनतेरस के दिन कुछ नया खरीद कर घर में लाने से संपन्नता रहती है। इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, झाडू, धनिया आदि खरीदने से शुभता और धन आता है।
धनतेरस के दिन किसकी पूजा की जाती है।
धनतेरस में धन के देवता कुबेर और स्वास्थ्य के देवता धनवंतरी की पूजा की जाती है।
धनतेरस के दिन अगर अपना राशि रत्न खरीदना है तो यहां क्लिक करें।
साल 2024 का वार्षिक राशिफल देखने के लिए नीचे अपनी राशि में क्लिक करें।
- मेष राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- वृषभ राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- मिथुन राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- कर्क राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- सिंह राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- कन्या राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- तुला राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- वृश्चिक राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- धनु राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- मकर राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- कुंभ राशि का वार्षिक राशिफल 2024
- मीन राशि का वार्षिक राशिफल 2024