गुरु बृहस्पति का आशीर्वाद है तो कभी नही आती है शुभ कार्यों में रुकावट
गुरुवार का दिन बहुत की शुभ और पवित्र माना गया है। ये देवताओं के गुरु श्री बृहस्पति देव का दिन है। इस दिन के लिए कहा जाता है कि अगर इस दिन कोई कार्य शुरू किया जाए तो सफलता ज़रूर मिलती है। गुरुवार के महत्व को इस बात से समझा जा सकता हैं कि यदि किसी बालिका के विवाह में देरी हो रही हो, या किसी की पारिवारिक स्थिति सही ना चल रही हो तो ऐसे में उनको गुरुवार का व्रत रहने की सलाह दी जाती है।
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। जीवन की भौतिक ज़रूरतों को पूरा करने का आशीर्वाद विष्णु भगवान से ही प्राप्त होता है इसलिए जिस भी सामाजिक सुख की कल्पना आप करते हैं उसके लिए गुरुवार के दिन भगवान विष्णु से प्रार्थना करें आपकी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।
कैसे पहचाने इस ग्रह के अशुभ फल:
ग्रह जब शुभ फल नही दे रहे होते हैं तो वो कई संकेत देते हैं जिससे हम उसे समझ सकें और उनका उपाय कर सकें:
संकेत 1: अगर आपके शुभ कार्यों में बार बार विघ्न आता हो, रुकावटें आ जाती हों तो समझना चाहिए कि बृहस्पति के शुभ फल नही मिल रहे हैं।
संकेत 2: शादी में विलम्ब हो रहा हो तो भी गुरु बृहस्पति के विषय में विचार अवश्य करना चाहिए। विवाह का कारक ग्रह बृहस्पति ही है।
संकेत 3: शरीर का वज़न अचानक बढ़ रहा हो और आलस्य आ रहा हो तो भी इस ग्रह के शुभ अशुभ प्रभावों पर विचार ज़रूर करें।
संकेत 4: अगर आपका मन धर्म, आस्था, पूजा-पाठ, दान-पुण्य आदि से उठ रहा हो, इस पर विश्वास कम हो रहा हो तो भी आपको ये मानना चाहिए कि गुरु बृहस्पति आपसे नाराज़ हो रहे हैं।
ऐसे किसी भी लक्षण के दिखने या महसूस होने पर आपको विचार करना चाहिए और समय से इसके उपाए कर के देवताओं के गुरु बृहस्पति देव का आशीर्वाद लेना चाहिए।
गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के उपाए:
- गुरुवार का व्रत करें।
- ज़रूरत मंद लोगों की सेवा करें और विद्या का दान करें।
- पीली वस्तु का दान करें।
- नित्य पूजा करें और एकादशी के दिन चावल ना खाएँ।
- सोने से पहले पैरों को धोकर सोएँ और पूर्व दिशा की और कभी भी पैर करके ना सोएँ।
- पुखराज रत्न धारण करें।
व्रत और पूजन विधि:
बहुत सारी स्त्रियाँ अच्छे वर की प्राप्ति और विवाह आदि शुभ कार्यों में आ रहे विघ्न को दूर करने का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गुरुवार के व्रत हो करती हैं। दाम्पत्य जीवन में सुख और आपसी प्रेम से भरा हुआ संस्कारी जीवन जीने के उद्देश्य से भी इस व्रत को विधि पूर्वक करने का विधान है।
गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु की फ़ोटो को पीले आसन में स्थापित कर के, पीले फूल और पीला भोग अर्पित करें। भगवान गणेश की स्तुति से अपनी पूजा की शुरुआत करें। इसके बात गुरुवार व्रत कथा पढ़ें। विष्णु भगवान से अपने मन की बात कहें और उस दिन के व्रत लेने का संकल्प लें।
इसके बाद पूरा दिन आप कुछ ना खाएँ, अगर फलाहार ले रहे हैं तो पीले फल ही खाएँ।
व्रत तोड़ने का समय गौधुली बेला में होता है। डूबते सूरज को देखकर गुरुवार का व्रत तोड़ा जाता है। लेकिन याद रखें भोजन पीला हो और अँधेरा होने से पहले खा लिया जाए।
गुरुवार व्रत में सूर्यास्त के बाद कुछ भी खाना वर्जित है।
इस प्रकार विधि पूर्वक किए गए व्रत से आपको बहुत शुभफल मिलेंगे।