ज्योतिष में क्या होते हैं बृहस्पति के शुभ फल, संकेत और उपाय

ज्योतिष में क्या होते हैं बृहस्पति के शुभ फल, संकेत और उपाय

भारतीय ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह और प्रभाव 

वेदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु बृहस्पति शुभफल देने वाले ग्रह है। ये संस्कार, व्यापार, पूजा पाठ, जीवन शैली आदि के कारक ग्रह हैं। स्त्रियों में तो गुरु ग्रह विवाह के कारक कहें गये हैं। प्रत्येक शुभ कार्य, जीवन में पारिवारिक सुख और स्थिर वृद्धि लाभ आदि देने वाले ग्रह बृहस्पति ही हैं। 

क्या होता है अगर ना मिल रहे हों गुरु के शुभफल

अगर गुरु ग्रह शुभफल नही दे रहा हो तो शुभ कार्यों में बाधा आती है। शादी में अड़चने आती है। आपका मन पूजा पाठ में नही लगता है, धार्मिक कार्यों में रुचि नही होती है और आप अनैतिक कार्यों में रुचि लेने लगते हैं। समाज में आपके कार्यों की सराहना नही होती है और बदनामी भी होती है। शरीर मोटा हो जाता है और जीवन शैली से जुड़ी परेशनियाँ होने लगती है।

सावधानियाँ:

अगर इन बातों के संकेत मिलें की गुरु बृहस्पति आपको सही फल नही दें रहे हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें 

  • पूजा पाठ करें और वेदिक दिनचर्या का पालन करें जिसमें शाम के बाद कुछ भी खाना वर्जित होता है। गुरुवार के दिन साबुन का इस्तेमाल नही करना, मांस नही खाना और बाल अथवा नाख़ून भी नही कटवाना आदि बातों का ध्यान रखें। 
  • गुरु से समबंधित कामों में अपना भविष्य ना खोजें। 
  • इस बात का ध्यान रखें की किसी भी बात से आपकी बदनामी हो सकती है तो आप जहाँ भी रहें पूरी सावधानी से रहें। 
  • विवाह आदि में रुकावट आ सकती है, सेहत ख़राब हो जाती है और जीवन शैली से जुड़ी परेशनियाँ आती हैं तो इसके लिए ख़ुद को तैयार रखें। 
  • अगर अपना ध्यान नही देंगे तो बहुत जल्दी बहुत मोटे हो जाएँगे तो आपको लगातार व्यायाम करना है और अपना ध्यान रखना है। 

कब होता है गुरु ग्रह कमज़ोर: 

  • मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लगना के जातकों के लिए सामान्य रूप से गुरु शुभ प्रभाव देता है। 
  • लेकिन ये मकर राशि में नीच का माना जाता है अगर ये अस्त, वक्री या क्रूर ग्रह की दृष्टि में हो तो भी इसको अशुभ ही माना जाता है। 
  • गुरु त्रिक भाव में भी हो तो भी इसे निर्बल ही माना जाता है। 
  • केंद्र भाव का स्वामी होकर अपनी राशि के अतिरिक्त किसी अन्य राशि में स्थित होकर केंद्र में ही विराजमान होना भी गुरु के प्रभाव को कमज़ोर करता है। 
  • अशुभ ग्रह या शत्रु ग्रह से युती होने पर भी गुरु ग्रह अपने शुभ फल नही दे पता है। 

गुरु ग्रह से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:

  • गुरु और चंद्रमा की युती बहुत सौभाग्य देती है। अगर गुरु ग्रह चंद्रमा और बुध के नक्षत्र में है तो ये आपको अच्छा स्वास्थ्य देगा। 
  • सूर्य के नक्षत्र में या सूर्य के साथ गुरु का होना शुभ संकेत है लेकिन कुंडली में अन्य समीकरण भी सही हों। ऐसी अवस्था में व्यक्ति धनवान, सौभाग्यवान और न्यायप्रिय बनाता है। 
  • मंगल के नक्षत्र में या मंगल ग्रह के साथ युती हो तो ये व्यक्ति को नारियल जैसा व्यवहार देता है, स्वभाव बात चीत और निर्णय लेने में तो व्यक्ति कठोर होता है लेकिन किसी के हित अहित का विचार वह बहुत सौम्यता से करता है। वह नही चाहता की किसी का बुरा उसके हाथ हो। अगर यही बृहस्पति सही अवस्था में ना हो तो व्यक्ति का क्रोध से अपना नुक़सान कर लेता हैं और अनैतिक कार्यों में लग जाता है। 
  • शुक्र के नक्षत्र में या शुक्र ग्रह के साथ युती हो तो व्यक्ति में यौन इच्छा बहुत प्रबल होती है। मन में अच्छे और बुरे को लेकर बहुत विरोधाभास होता है। 
  • अगर गुरु ग्रह भारी हो तो आपको पीली वस्तु का दान करना चाहिए। इससे ग्रह के दुशप्रभाव ख़त्म होते हैं। 
  • अगर शादी में विलम्ब हो रहा हो तो एक बार गुरु बृहस्पति की स्थिति दिखा ली जाए और समय से उपाय करें तो विवाह में आ रही परेशानी दूर होती है।

गुरु बृहस्पति कभी ऐसे दुशप्रभाव नही देते जिससे आपको अधिक शारीरिक या मानसिक कष्ट हो लेकिन ये आपके जीवन को धीमा और प्रभावहीन कर देते हैं। इस ग्रह के शुभ फल प्राप्त करना बहुत मुश्किल नही है। मन में ईश्वर के प्रति श्रद्धा रखकर छोटे छोटे उपाय करने से अच्छे और शुभफल प्राप्त होंगे।