कालसर्प दोष : कुंडली का अकेला दोष जो सबकुछ बर्बाद कर सकता है
कालसर्प दोष।। कालसर्प दोष के प्रभाव।। कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय।। मंत्र।। बाधाएं।। Kaal Sarp Dosh II Kaal Sarp Dosh Remedies II Effects of Kaal Sarp Dosh II
कालसर्प दोष (जिसे काल सर्प दोष या काल सर्प योग भी कहा जाता है) कुंडली में पाया जाने वाला ऐसा योग है जो बहुत ही बुरे प्रभाव देने वाला माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है उसे बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष अनुसार कालसर्प दोष
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में राहू-केतु के साथ दूसरे ग्रहों की विशेष स्थिति होने पर कुंडली में इस दोष का निर्माण होता है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों के इस अशुभ संयोग को अथवा दोष को देखा गया है उन्हें सामान्य रुप से बुरे सपने आना, नींद पूरी न होना और कामों में बाधाएं उत्पनन्न होने जैसे संकेत मिलते हैं। आइए इस दोष के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं:
कालसर्प दोष का निर्माण
इस दोष के निर्माण को समझने से पहले एक तथ्य समझ लें कि प्रत्येक कुंडली में राहू और केतु ग्रह की स्थिति हमेशा एक दूसरे के आमने सामने होती है अर्थात अगर आप किसी भी कुंडली में राहू और केतु ग्रह को एक रेखा से मिलाएंगे तो वह हमेशा एक सीधी रेखा होगी।
अब इस सीधी रेखा के एक तरफ बाकी बचे सभी 7 ग्रह स्थित हो जाएं तो उस कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है।
सरल भाषा में जब किसी कुंडली में राहू और केतु के बीच में बचे ग्रह आ जाते हैं तो उस कुंडली में कालसर्प दोष होता है। इसे चित्र से समझें।
कालसर्प दोष के प्रकार
राहू केतु की स्थिति और दूसरे ग्रहों से उनकी दूरी के आधार पर इस दोष को कई प्रकार का बताया गया है। जैसे अनंत कालसर्प दोष, कुलिक कालसर्प दोष, वासुकी कालसर्प दोष, शंखचूड़ कालसर्प दोष, पद्म कालसर्प दोष, महापद्म कालसर्प दोष, तक्षक कालसर्प दोष और कर्कोटक कालसर्प दोष। आइए एक-एक करके इनपर चर्चा करते हैं:
अनंत कालसर्प दोष
जब किसी जातक की कुंडली में राहू प्रथम भाव में और केतु सप्तम भाव में हो और सारे ग्रह इनके बीच में आ जाएं तो इसे अनंत काल सर्प दोष कहते हैं।
प्रभाव : इस दोष से ग्रसित हो तो जातक को विवाह, वैवाहिक संबंधों और पार्टनरशिप में परेशानी आती है।
कुलिक कालसर्प दोष
यह दोष तब उत्पन्न होता है जब जातक की कुंडली में राहू दूसरे भाव में और केतु आठवें भाव में स्थित होता है और बाकी सारे ग्रह इनके एक तरफ हो जाते हैं।
प्रभाव: कुलिक कालसर्प दोष के प्रभाव में व्यक्ति को धन, कामकाज और परिवार में समस्याएं आती हैं। ऐसे लोगों का धनार्जन कभी स्थाई नहीं हो पाता।
वसुकी कालसर्प दोष
जब जन्म कुंडली में राहू तीसरे भाव में हो और केतु 9वें भाव में हो और बाकी के सातों ग्रह इनके बीच में हों जाएं तो वसुकी कालसर्प दोष उत्पन्न होता है।
प्रभाव: इस कालसर्प दोष के प्रभाव से आपकी कम्यूनिकेशन स्किल प्रभावित होती है और या तो बहुत कम बोलते हैं या फिर ज्यादा बोलकर खुद का ही नुकसान करवा लेते हैं। यह चचेरे मरे भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध भी नहीं स्थापित होने देता है।
शंखचूर्ण कालसर्प दोष
किसी जन्म कुंडली में जब राहू 4थे भाव में हो और केतु 10वें भाव में हो और बाकी के ग्रह इन दोनों के बीच में हों तो यह कालसर्प दोष उत्पन्न होता है।
प्रभाव: इस दोष का प्रभाव हमारे पारिवारिक जीवन पर करियर पर और प्रतिष्ठा पर बुरा प्रभाव देता है। ऐसे लोगों को बदनामी से हमेशा बचना चाहिए।
पद्म कालसर्प दोष
जब राहू पंचम भाव में हो और केतु ग्यारवें भाव में हो और इनके मध्य में बाकी सारे ग्रह आ जाएं तो इस प्रकार का कालसर्प दोष बनता है।
प्रभाव: कुंडली में अगर पद्म कालसर्प दोष हो तो ऐसे व्यक्ति को शिक्षा में परेशानी होती है, वह बुद्धि से धीमें होते हैं और सामाजिक जीवन बहुत खराब होता है।
महापद्म कालसर्प दोष
यह दोष तब उत्पन्न होता है जब राहू 6ठें भाव में हो और केतु 12वें भाव में हो और बाकी के ग्रह इन दोनों के बीच में हों।
प्रभाव: यह व्यक्ति के धार्मिक कार्यो में बाधा उत्पन्न करता है साथ ही स्वास्थ्य में गिरावट बनाता है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति शत्रुओं से भी परेशान रहते हैं।
तक्षक कालसर्प दोष
जब राहू सातवें भाव में आ जाए और केतु पहले भाव में हो और बाकी के ग्रह इनके बीच में स्थित हों तो जो कालसर्प दोष बनता है उसे तक्षक नाम दिया गया है।
प्रभाव: यह दोष विवाह में बाधा उत्पन्न करता है और पार्टनरशिप में परेशानी देता है। रिश्तों में भी दरार रहती है।
कर्कोटक कालसर्प दोष
जब राहू आपकी कुंडली में आठवें भाव में हो और केतु दूसरे भाव में हो तथा बाकी सभी ग्रह इनके बीच में हों तो कर्कोटक Kaal Sarp दोष बनता है।
प्रभाव: यह दोष परिवार, आर्थिक स्थिति और स्वयं के व्यक्तित्व के लिए दुष्प्रभाव देता है।
कालसर्प दोष का प्रभाव
Kaal Sarp दोष का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में होता है। यह निर्भर करता है कि राहू और केतु कुंडली के किस भाव में बैठकर दूसरे ग्रहों को घेरे हुए हैं। आइए एक एक करते इस पर अध्ययन करते हैं और समझते हें :
विवाह में रुकावट
Kaal Sarp दोष के कारण आपके विवाह में रुकावट तब आएगी जब आपकी कुंडली में अनंत कालसर्प दोष अथवा तक्षक Kaal Sarp दोष निर्मित हुआ हो। ऐसे जातकों को विवाह होने में देरी होती है, विवाह हो जाए तो जीवनसाथी के साथ बनती नहीं है। रिश्तों में खराबी केवल जीवनसाथी के साथ ही नहीं होती यदि किसी से मिलकर कोई काम भी कर रहे हो तो वो भी ज्यादा दिन तक नहीं कर पाते। ये लोग टीम का हिस्सा बनकर नहीं रह पाते।
व्यापार में बाधाएं :
जल Kaal Sarp दोष में राहू और केतु का संबंध दूसरे, सप्तम और पंचम भाव से हो जाता है तो ऐसे में उन्हें व्यापार के कभी सफलता नहीं मिलती है। अगर ऐसे लोग काम शुरू भी कर दें तो बिना सर पैर के ऐसे निर्णय लेते हैं कि व्यापार ही बैठ जाता है।
स्वास्थ्य में परेशानी
Kaal Sarp दोष आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। ऐसा तब होता है जब यह दोष कुंडली के छठें भाव को प्रभावित करता है।
धन की हानि
राहु और केतु अगर आपकी कुडली के दूसरे भाव, सातवे भाव और आठवें भाव में से किसी एक में स्थित होकर Kaal Sarp योग बना रहे हैं तो व्यक्ति की आर्थिक हानि का कारण बनते हैं।
उपाय
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कई प्रकार के उपाय हैं जिसमें से कुछ पर हम चर्चा करते हैं:
Kaal Sarp Dosh Puja
Kaal Sarp दोष पूजा एक ज्योतिषीय अनुष्ठान है जिसे उस व्यक्ति के निमित्त किया जाता है जिसकी कुंडली में यह दोष होता है। इस पूजा में चांदी के सर्प का जोड़ा पूजा जाता है और फिर उसका दान दिया जाता है। “ॐ नागकल्याणा भिमार्जुनाय नमः” और अन्य कालसर्प मंत्रों का जप कर यह कामना की जाती है कि व्यक्ति के जीवन से कुंडली में स्थित इस दोष का प्रभाव समाप्त हो जाए।
Kaal Sarp Dosh Yantra
सिद्ध और अभिमंत्रित यंत्र प्राप्त करें।
ज्योतिष में यंत्र के पूजन की शक्ति का प्रयोग प्राचीन काल से ही विभिन्न ग्रहों अथवा देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता रहा है। Kaal Sarp दोष को दूर करने के लिए भी ऐसा ही एक यंत्र बहुत प्रभावशाली है जिसे ‘कालसर्प दोष निवारण यंत्र’ कहा जाता है। इस यंत्र की नित्य पूजा और दर्शन करने से ही ऐसी ऊर्जा मिलती है जो इस दोष के प्रभाव को कम करती है।
Kaal Sarp Dosh Mantra
Kaal Sarp दोष के प्रभाव को कम करने के लिए मंत्र जप भी बहुत प्रभावशाली उपाय है। आइए कुछ बहुत प्रभावशाली मंत्रों को जानते हैं जिनके भक्तिपूर्ण नित्य जप से कालसर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति मिलती है:
आदित्यहृदयम् मंत्र: यह मंत्र Kaal Sarp दोष के प्रभाव को कम करने के लिए प्रसिद्ध है।
‘ॐ नखद्वजाय विद्महे तन्नो कालसर्प प्रचोदयात्।’
कालसर्प मंत्र: ‘ॐ आस्येषानि नागेन्द्रा कालसर्पा दित्यकुजाः। प्रीत्या यान्तु मम देहे तु तुभ्यं धृत्या नमोऽस्तु ते।’
इस मंत्र का नियमित जप Kaal Sarp दोष के प्रभाव को समाप्त करता है।
नाग प्रपतिंये मंत्र: ॐ नाग प्रपतिंये नमः। इस मंत्र का जप भी कालसर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति दिलाता है।
महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
Kaal Sarp दोष के निवारण के लिए तथा कठिन समय में मन की शांति के लिए यह मंत्र बहुत प्रभावशाली होता है। इस मंत्र के जप से हर विघ्न से बाहर निकला जाता है।
Kaal Sarp Dosh Gemstone
कई ज्योतिषाचार्य Kaal Sarp दोष के प्रभाव को कम करने के लिए रत्नों को धारण करने की सलाह भी देते हैं। क्योंकि यह दोष राहू और केतु के कारण उत्पन्न होता है इसलिए लहसुनिया और गोमेद रत्न की अंगूठी चांदी में उल्टे हाथ की मध्यमा में धारण करने से इस दोष के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
कुछ सामान्य उपाय
ऊपर दिए गए उपायों के अतिरिक्त कुछ सामान्य उपाय है जैसे घर में शयनकक्ष में सिरहाने की तरफ मोर का पंख लगा लें अथवा तकिए के नीचे रख कर सोएं। सर्प का चांदी का जोड़ा भगवान शिव के मंदिर में दान करें अथवा बहते पानी में प्रवाहित करें। भगवान शिव को प्रत्येक सोमवार और शनिवार जल में कालातिल या कलौजी डालकर उनका उसी जल से अभिषेक करें।
इन उपायों से भी कालसर्प दोष के प्रभाव से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति सुखी जीवन व्यतीत करता है।
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
कालसर्प दोष कैसे बनता है।
पिछले जन्म में सर्प की हत्या, गौ हत्या या हिंसा आदि से हुए पाप के कारण इस जन्म में ऐसे योग के साथ व्यक्ति पैदा होता है। इसमें सभी 7 प्रमुख ग्रह को राहू और केतु ग्रह घेरे होते हैं।
क्या कालसर्प योग से मुक्ति मिल सकती है।
इस दोष के साथ व्यक्ति पैदा होता है इसलिए यह दोष कुंडली से समाप्त हो जाए ऐसा संभव नहीं है। लेकिन कुछ उपाय ऐसे हैं जिनसे इस दोष के प्रभाव को नगन्य किया जा सकता है।
कालसर्प दोष कितना खतरनाक है।
कालसर्प योग उतना ही खतरनाक है जितना खतरनाक इसका नाम है। अगर कुंडली में यह दोष है तो व्यक्ति की नींद चैन सब उठ जाता है। हर क्षेत्र में नुकसान होता है गलत आदतें लग जाती है।
आपके काम नहीं बन रहे हैं विवाह में अड़चन आ रही है और घर में कलह भी बनी रहती है। कुंडली में काल सर्प दोष नहीं है लेकिन समझ नहीं पा रहे हैं कि ऐसा क्यों है, संभव है आपकी कुंडली मे पितृ दोष हो। अभी पढें इसके विषय में और जानें। यहां क्लिक करें।