मन की शांति, मानसिक सुख और सम्पन्नता का भाव देने वाला है मोती रत्न
सफ़ेद मोती चंद्रमा का रत्न है। इसे अंग्रेज़ी में Pearl कहते हैं। चंद्रमा हमारी धरती के सबसे पास है और ये पृथ्वी उपस्थित हर वस्तु को किसी दूसरे ग्रह से ज़्यादा प्रभावित करता है। इसलिए कुंडली में ग्रहों का अध्ययन करते समय चंद्रमा की स्थिति और मज़बूती का आंकलन करना बहुत ज़रूरी है। चंद्रमा अगर शुभ प्रभाव देता है तो व्यक्ति हर परिस्थिति में प्रसन्न रहता है और पूरी निष्ठा से अपना काम करता है।
कौन धारण कर सकता है मोती:
वैसे तो चंद्रमा शुभ ग्रह है और इसका कोई भी नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता नही दिखता है लेकिन फिर भी कुछ जातकों के लिए ये बहुत ही प्रभावशाली होता है। जैसे अगर चंद्रमा 1, 4, 5 या 9 वें भाव का स्वामी हो या इसका सम्बंध इस भावों से बन रहा हो तो आप चंद्रमा का रत्न धारण कर सकते हैं।
अगर उच्च भाव का या शुभ भाव का स्वामी हो और पीड़ित हो तो भी इस चंद्रमा को मज़बूती देने के लिए आप मोती रत्न हो धारण कर सकते हैं।
चंद्रमा की महादशा और अंतर्दशा में भी मोती धारण करना बहुत लाभकारी होता है।
इसके अलावा जो जातक पानी या किसी भी तरह के तरल का काम (अम्ल अथवा क्षार छोड़कर) करते हैं। नेवी में हैं, समुद्र से समबंधित पदार्थ जैसे पेट्रोल आदि, जल आपूर्ति, होटेल, डेरी, फल, फूल मीठी आदि से समबंधित काम करते हैं तो भी मोती धारण करना बहुत लाभकारी है।
जो जातक मनोचिकित्सा, मनोविज्ञान, नर्सिंग, आदि के उच्च पदों पर जाना चाहता है वो भी मोती धारण करें। इसके अलावा अगर कोई स्त्री उच्च पदों पर जाना चाहती है वह शासन आदि में जाना चाहती है तो भी मोती अवश्य धारण करे।
जिस व्यक्ति को दिल, फेफड़े, रक्त की कमी, रक्तचाप, ख़ून की कमी, नींद का ना आना, अस्थमा, किडनी में स्टोन, अवसाद, पागलपन या मासिक धर्म से जुड़ी परेशनियाँ हैं तो उनको भी मोती धारण करने से इन रोगों के जल्द सही होने में मदद मिलती है।
ये जातक को मानसिक शांति देता है और ऐसे लोग कैसी भी परिस्थिति में ख़ुद को ढाल लेते हैं और प्रसन्न रहते हैं।
कैसा मोती करें धारण:
मोती वास्तव में सफ़ेद और हल्का पीलापन लिए हुए होता है। उपलब्ध विकल्पों में दक्षिण सागर मोती सबसे उत्तम होता है। इसे 4 से 6 रत्ती का चाँदी की अँगूठी में धारण करना बहुत लाभकारी होता है। इसे कनिष्का अथवा सबसे छोटी अंगुली में धारण किया जाता है या गले में भी धारण कर सकते हैं।
इसको धारण करने का सही समय सोमवार को सूर्य अस्त होने के बाद का होता है। अगर आस पास कोई पंचांग देख सकता है तो इसे रोहिणी, हस्त या श्रावण नक्षत्र में सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद धारण करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
गुरु और चंद्रमा एक दूसरे के परम मित्र हैं इसलिए गुरुवार के दिन भी पूर्ववत समय का ध्यान रखते हुए अगर मोती धारण किया जाए तो लाभ अवश्य मिलता है।
जब चंद्रमा लगभग पूर्ण हो और वृष, कर्क या मीन राशि में हो तो इस रत्न को अनामिका अंगुली में धारण करना बहुत लाभ देने वाला होता है।
मोती का उपरत्न:
मोती के स्थान पर गोदंती रत्न धारण किया जा सकता है। इसे अंग्रेज़ी में Moon Stone कहते हैं। इसे कम से कम 7 रत्ती वज़न में धारण करना चाहिए। ये भी बहुत ही प्रभावशाली होता है।
सावधानियाँ:
मोती रत्न को नीलम, हीरा, गोमेद या लहसुनिया के साथ नही धारण करना चाहिए।
अगर चंद्रमा 3, 6 या 8 वें भाव का स्वामी हो और ऐसी स्थिति में आप कफ, सूजन, बलगम आदि शीत जनित बीमारियों से पीड़ित हैं तो आपको मोती नही धारण करना चाहिए।
अगर आप शीत जनित बीमारियों से ग्रसित हुए हैं और मोती धारण किया हुआ है तो शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए मोती निकल कर मंदिर में रख दें.
6ठे और 8वें भाव में स्थित चंद्रमा आपको बीमार कर सकता है। इसलिए इन भावों में चंद्रमा हो तो मोती रत्न नही धारण करना चाहिए।
सिंह, धनु, मकर और कुम्भ लग्न वालों के लिए चंद्रमा की स्थिति आदर्श नही होती इसलिए इन्हें भी मोती रत्न धारण नही करना चाहिए।
बाज़ार में मोती की उपलब्धता:
सामान्य रूप से बाज़ार में बहुत ही कम दाम पर मिलने वाला मोती एक तरफ़ से दबा हुआ रहता है, ये साफ़ पानी का मोती कहलाता है। इससे कोई लाभ होता है या नही इसका कोई प्रमाण नही मिलता है लेकिन लोगों की अज्ञानता और इस मोती का बहुत कम दाम इसे प्रचलित बना चुका है।
लेकिन अगर ज्योतिषीय लाभ चाहते हैं तो आपको दक्षिण सागर मोती ही धारण करना चाहिए। ये 600 रु प्रति रत्ती मिलता है और प्रभावशाली होता है। अच्छे जानकार ज्योतिषी जातक को मोती धारण करने की सलाह देते हैं तो उन्हें ये बता देते हैं की मोती किस प्रकार का हो।
इसके बाद बारी आती है बसरा मोती की जो बहुत ही महँगा आता है। इसकी उपलब्धता के अनुसार ही इसकी क़ीमत तय की जाती है।
आप अगर मोती धारण करना चाहते हैं जो शुद्ध अभिमंत्रित और प्रभावशाली हो तो आप 9118877495 पर सम्पर्क कर सकते हैं।