गौरी-शंकर रुद्राक्ष आपके सुखद वैवाहिक जीवन के लिए
भगवान शिव और माता पार्वती एक साथ पृथ्वी पर गौरी शंकर रुद्राक्ष के रूप में अवतरित हुए. ये प्राकृतिक रूप से जुड़े रुद्राक्ष होते हैं. जिन्हें मंदिर में रख कर पूजन और धारण भी किया जाता है. मुख की बात करें तो इसके कई मुख हो सकते हैं.
इसके जैसा ही एक दूसरा रुद्राक्ष जिसे गर्भ गौरी कहते हैं उसमे दो जुड़े दानों में एक बड़ा होता और दूसरा छोटा होता है.
नेपाल में पाया जाने वाला गौरी शंकर और गर्भ गौरी रुद्राक्ष उच्च गुणवत्ता वाला होता है और एक अभिमंत्रित रुद्राक्ष की कीमत 7500 रु से 11000 रु के बीच होती है.
ज्योतिष और गौरी शंकर और गर्भ गौरी रुद्राक्ष
ये रुद्राक्ष किसी ग्रह से सम्बंधित नहीं है इसलिए ज्योतिष में किसी ग्रह के उपाए के तौर पर इसे नहीं धारण करवाया जाता। ज्योतिषाचार्य इस रुद्राक्ष को धारण करने की सलाह केवल भगवान शिव और माँ पार्वती के आशीर्वाद के स्वरुप में विवाह में आ रही बाधाओं और दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए देते हैं.
लाभ:
शिव-पार्वती के प्राकृतिक स्वरुप को पूजने इसकी आराधना करने के लाभ अतुलनीय है. दाम्पत्य जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने में तो इस रुद्राक्ष का कोई तोड़ नहीं है.
शादी में रुकावटें आ रही हों तो इस रुद्राक्ष को पीले धागे में डालकर सोने या पीली धातु के लॉकेट में पिरोकर धारण करने से विवाह शीघ्रता से होता है.
अपने मुख्य प्रभाव के अतिरिक्त ये धारण को सौभाग्य, स्वास्थ्य, धन, बुद्धि और जीवन में सभी सुखों का भोग करता है.
लेकिन गर्भ गौरी रुद्राक्ष उन महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी होता है जिन्हें संतान सुख नहीं मिल रहा है या उसमे अड़चने आ जा रही हों. इस रुद्राक्ष को धारण करने के बाद स्त्री को उत्तम मातृत्व का सुख मिलता है.
धारण विधि
इस रुद्राक्ष को सोमवार के दिन पीले धागे सोने की चैन में डालकर धारण करना चाहिए। ॐ गौरी-शंकराय नमः इस रुद्राक्ष को धारण करते समय जपने वाला मंत्र है. अगर आप इस रुद्राक्ष को मंदिर में रख रहे हैं तो इसे पीले आसान में स्थापित कीजिये और प्रतिदिन इसके दर्शन करके बताये हुए मंत्र का जप कीजिये।
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