Diwali Pujan: मुहुर्थ, पूजा सामग्री, पूजा विधि और धन प्राप्‍ति के उपाय

Diwali Pujan: मुहुर्थ, पूजा सामग्री, पूजा विधि और धन प्राप्‍ति के उपाय

Diwali Pujan II Dipawali II Laxmi Pujan II Lakshmi Pujan II Puja Vidhi II Maa Laxmi को प्रसन्‍न करने के उपाय।। 

Diwali / Dipawali पूजन 

कार्तिक मास की अमावस्‍या को हिन्‍दु मान्‍यताओं के अनुसार Diwali का त्‍योहार मनाया जाता है। इस दिन पटाखें, मिठाइयां और शानदार व्‍यंजन तो होता ही है लेकिन जो सबसे महत्‍वपूर्ण है वह है मां लक्ष्‍मी जी का पूजन। मां लक्ष्‍मी का पूजन इस दिन भारत के हर सनातनी के घर में होता है। 

ऐसी मान्‍यता है कि जो भी व्‍यक्ति विधिवत इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा करता है उनका आवाह्न करता है उस पर मां लक्ष्‍मी की कृपा होती है और वह कभी भी धन आदि के लिए परेशान नही होता है। इस दिन मां लक्ष्‍मी पृथ्‍वी पर विचरण करती हैं और उनके स्‍वागत के लिए ही लोग घरों के दरवाजों पर दीप जलाते हैं, सुंदर रंगोली बनाते हैं। 

Diwali पूजन मुहूर्त

Diwali 2023 में मां Laxmi Pujan का शुभ मुहुर्थ कब है यह बहुत लोगों के मन में है। लेकिन ये बताने से पहले Diwali इस वर्ष किस माह में हैं, कितनी तारीख को है ये देख लेते हैं। 

तो वर्ष 2023 में Diwali 12 नवंबर को है। इस दिन प्रदोषकाल में मां लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है। पूजन का शुभ मुहुर्थ 12 नवंबर 2023 को शाम 6 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रहा है और 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। 

ज्‍योतिष और पंचांग के अनुसार यह समय मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की पूजा करने के लिए सबसे उपयुक्‍त है। इस समय की गई पूजा का जातक को सबसे ज्‍यादा फल प्राप्‍त होगा। 

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Diwali पूजन सामग्री

Diwali पूजा का मु‍हुर्थ पता हो गया अब इस समय में विधिवत पूजन किया जाए यह भी बहुत जरूरी है। जैसा कि पुरानी कहावत है कि साधन बिना साधना नहीं होती है इसलिए मां लक्ष्‍मी के इस पूजन में पूजा साम्रगी क्‍या-क्‍या है इसे देख लेते हैं। 

  • एक चौकी
    • लकड़ी की चौकी सबसे उपयुक्‍त होती है। ईश्‍वर अथवा आराध्‍य का आसन हमेशा हमारे आसन से ऊपर होना चाहिए बस इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए चौकी की आवश्‍यक्‍ता होती है। अगर आपके मंदिर में मां लक्ष्‍मी और प्रभु गणेश का स्‍थान आपके बैठ कर पूजा करने के स्‍थान से ऊपर है तो चौकी न हो तो भी कोई बात नहीं बिगड़ती। 
  • एक लाल कपड़ा
    • लाल रंग मां लक्ष्‍मी को प्रीय है और शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए चौकी में अथवा मंदिर में नीचे बिछाने के लिए लाल कपड़े की आवश्‍यक्‍ता होती है। 
  • एक कलश
    • सनातन धर्म में कोई भी पूजा बिना कलश के पूर्ण नहीं होती है। कलश के दर्शन को पूरे ब्रह्माण के दर्शन से जोड़कर देखा जाता है। यह सुख समृद्धि देने वाले समुद्र मंथन का प्रतीक भी है। माना जाता है कि कलश का मुख भगवान विष्‍णु का प्रतीक है, मध्‍य भगवान शिव का प्रतीक है और नीचे का भाग ब्रह्मदेव का प्रतीक है। नीचे हम कलश स्‍थापना विधि पर चर्चा करेंगे। 
  • गंगाजल
    • सनातन धर्म में सबसे पवित्र जल है गंगा जल जिसके स्‍पर्श मात्र से व्‍यक्ति पूर्वजन्‍म के पापों से भी मुक्‍त हो जाता है। इसी प्रकार जब आप मां लक्ष्‍मी का आवाह्न करने जा रहे हैं तो उनको समर्पित करने वाली चीजें, स्‍थान और स्‍वयं को गंगाजल से पवित्र किया जाएगा। इस उद्देश्‍य से गंगाजल पूजन की बहुत ही आवश्‍यक सामग्री है। 
  • अक्षत
    • अक्षत अर्थात कभी न खत्‍म होने वाला। अक्षत को चढ़ाने से हमें संपन्‍ता का वरदान प्राप्‍त होता है। पूजा सामग्री में यह भी अवश्‍य होना चाहिए। 
  • फूल
    • पूजन में पुष्‍प का भी अपना महत्‍व है किन्‍तु इस बात का ध्‍यान रहे की पुष्‍प ताजे हों। 
  • धूप
    • धूप वातावरण को प्राकृतिक रूप से सुगंधित करने के लिए प्रयोग की जाती है। अगरबत्‍ती का प्रयोग न करके धूप का प्रयोग करें यह शुभ होता है। 
  • दीप
    • दीप का भी हिन्‍दु धर्म में बहुत बड़ा महत्‍व है। दीप का प्रज्‍वलन आस-पास के वातावरण को शुद्ध करता है। इसलिए शुद्ध घी का दिया जलाना चाहिए। इस पूजा में दो बड़े दिए और 11 छोटे दिए लेने हैं। 
  • प्रसाद
    • सनातन धर्म में ईश्‍वर को भोग देने की परंपरा है। बाद में इसी भोग को प्रसाद स्‍वरूप ग्रहण किया जाता है। 
  • प्रतिमा या तस्वीर
    • मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए। 
  • सिक्‍के
    • अगर चांदी के सिक्‍के हैं तो उन्‍हें नहीं तो कुछ सामान्‍य सिक्‍कों को भगवान कुबेर का स्‍वरूम मानकर मंदिर में स्‍थान देते हैं। 
  • जनेव
    • जनेव सनातन संस्‍कृति में बहुत पवित्र माना जाता है। इसे दीपावली पूजन में भगवान गणेश को वस्‍त्र स्‍वरूप अर्पित करते हैं। 
  • मां लक्ष्‍मी को प्रीय वस्‍तुएं जैसे गुंजा माला, कमल गट्टे की माला, सुपारी, इलाइची, लॉग, दीपक जलाने के लिए घी, दुर्वा, पान के पत्‍ते, आम के पत्‍ते, नारियल, रोली, मोली इत्‍यादी पूजा की सामग्री। 

Diwali पूजन तैयारी

दीपावली की पूजा वास्‍तव में मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की पूजा है। सारी सामग्री एकत्र करने के बाद पूजा की तैयारी की जाती है। इस तैयारी को कुछ चरणों में बांटा जा सकता है जो कि निम्‍न है: 

पूजा स्‍थल की तैयारी: 

Diwali पूजन के लिए सबसे पहले पूजा स्‍थल की सफाई करनी है। इसे गंगाजल से शुद्ध करना है। इसके बाद अपने आसन से थोड़ ऊपर लक्ष्‍मी-गणेश और कलश के लिए स्‍थान तैयार करना होगा। इसमें सबसे पहले चौकी अथवा मंदिर में लाल कपड़ा बिछाना है। जिसके बाद इसके ऊपर भगवान गणेश और मां लक्ष्‍मी की मूर्ति अथवा फोटो को रखना है। इनके ही बगल में कुबेर के स्‍वरूप चांदी अथवा सामान्‍य सिक्‍कों को स्‍थान दें।

कलश की तैयारी: 

Diwali पूजा की तैयारी का दूसरा महत्‍वपूर्ण चरण है कलश की तैयारी करना। एक लोटे जैसे पात्र में जल लेकर उसमें 5 आम्र पल्‍लव (आम के पत्‍ते) डालकर पुष्‍प के स्‍वरूप में रखना है। इस जल में अक्षत, कुछ पैसे, गंगाजल, हल्‍दी और रोली डाल देना है। इसके बाद एक नारियल जिसके मध्‍य में कलावा बांधा हो उसे इस कलश के ऊपर रखना है। 

इसके बाद स्‍वास्‍तिक का चिन्ह बना कर कलश को चौकी में स्‍थापित कर देता है। 

मूर्ति की सजावट: 

मां लक्ष्‍मी और भगवान श्री गणेश की मूर्ति को सजा लें। आपसे ये अपेक्षा है कि Diwali पूजन के लिए मूर्ति लेते समय आपने देखा होगा कि ये कहीं से खंडित तो नही है। इस बात का विशेष ध्‍यान रखें। मूर्ति को प्रेम से तैयार करें और कलश के समीप इसे स्‍थान दें। 

अब समय आता है मूर्ति को स्‍थान देने का तो दो महत्‍वपूर्ण बिन्‍दु है जिन्‍हें ध्‍यान रखें: 

पहला: मां लक्ष्‍मी भगवान गणेश की मां हैं, एक प्राचीन कथा के अनुसार मां लक्ष्‍मी ने भगवान गणेश को गोद लिया और अपने दत्‍तक पुत्र के रूप में स्‍वीकार किया। इसलिए मां लक्ष्‍मी को कभी भी भगवान गणेश के बांई ओर नहीं रखना चाहिए। हमेशा दाई ओर मां लक्ष्‍मी हो और बाईं ओर प्रभु गणेश हों। 

दूसरा: हिन्‍दु शास्‍त्र और सनातन ग्रंथों में पूर्व दिशा को देवी-देवताओं का स्‍थान माना गया है। इसलिए इस ओर ही मूर्ति की स्‍थापना करनी चाहिए। इससे मां लक्ष्‍मी जल्‍द प्रसन्‍न होती हैं। 

मंदिर की अंतिम तैयारी

अंतिम तैयारी के रूप में कुछ धन, स्‍वर्ण आदि के साथ प्रसाद व मिष्‍ठान भी मंदिर में व्‍यवस्थित तरीके से स्‍थापित करें। कुछ अक्षत, रोली, मोली और एक बर्तन में गंगा जल रखें। कुछ पुष्‍प भी रखें और फिर इसके बाद पूजन शुरू होगा। 

Diwali पूजा विधि 

पूजा का सबसे पहला चरण होता है शुद्धि‍करण। गंगाजल में एक पुष्‍प डूबोकर उसका छिड़काव मंदिर में, वहां रखे सब सामान में और फिर पूजा में शामिल प्रत्‍येक लोग के ऊपर करें। इस दौरान नीचे दिए मंत्र का जप करें। 

शुद्धिकरण मंत्र 

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।

इसके बाद बारी आती है आचमन की। बाहरी शुद्धि के बाद अब भारी है भीतर से शुद्ध होने की। तो पहले अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ की हथेली में जल लें। इससे अपने हाथों को धो लें। एक बार फिर से उसी प्रकार जल लें और ईश्‍वर का ध्‍यान करके उसे पी लें। यह प्रक्रिया तीन बार होगी और तीनों बार आपको जो मंत्र पढ़ना है वो इस प्रकार है 

  1. “ॐ केशवाय नमः”
  2. “ॐ नारायणाय नमः”
  3. “ॐ महादेवाय नम:” 

इसके बाद एक बार फिर अपने हाथों में जल लेकर अपने हाथों को धो लें। 

धूप दीप प्रज्‍वलन 

मन में पूरी आस्‍था रखते हुए अब समय है धूप और दीप प्रज्‍जवलन का। दो बड़े दिए जलाकर मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश के सामने रखने हैं। साथ ही तीन दिए छोटे जलाने है जिसमें एक घर के मंदिर में ही रखना है, दूसरा कुल देवी या देवता के नाम से उनके मंदिर या उनके नाम से किसी पेड़ पौधे के समीप जलाना है और तीसरा घर के मुख्‍य दरवाजे पर पूजा समाप्‍त होने के बाद रखना है। 

इसके बाद एक बार फिर से शुद्ध‍िकरण करना है जिसमें गंगाजल में डूबे पुष्‍प से एक बार फिर लक्ष्‍मी-गणेश की प्रतिमा, श्री कुबेर जी पर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद धूप जलाएं और दिखाएं। 

अब फूलों को अर्पित करें। इसके बाद थोड़ी सी मोली (कलावा) वस्‍त्र के रूप में मां लक्ष्‍मी को अर्पित करें और भगवान गणेश को जनेव चढ़ाएं। इसके बाद दोनों मुर्तियों और श्री कुबेर जी को तिलक लगाएं। इसके अलावा जो गहने धन आदि आपने पूजा स्‍थान पर रखे हैं उन पर भी कुम-कुम से तिलक करें। 

इसके बाद स्‍वयं को और पूजा में शामिल सभी को तिलक करें। 

इसके बाद भगवान श्री गणेश और मां लक्ष्‍मी को प्रीय वस्‍तुएं जैसे मिष्‍ठान, अक्षत, दुर्वा, कमल गट्टे, नारियल, सुपारी आदि को पान के पत्‍ते पर रखकर अर्पित करें। दीपावली में प्रयोग की जाने वाली खील, बताशे, मिट्टी के खिलौने, मीठे खिलौने आदि भी प्रसाद स्‍वरूप मंदिर में चढ़ाएं। 

अब गंगा जल से एक बार मंदिर के चारों ओर जल से शुद्धिकरण करें। 

इसके बाद आती है प्रथम पूजनीय श्री गणेश की पूजा की बारी। 

हाथ में एक फूल लें और भगवान गणेश का मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नम:’ का जप करें। भगवान गणेश के दूसरे मंत्र जैसे ‘एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्’ अथवा ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।’ इन मंत्रों का जप करें। 

भगवान गणेश बुद्धि दाता है यदि भगवान गणेश प्रसन्‍न हो गए तो कोई विघ्‍न आपको स्‍पर्श नहीं कर पाएंगा और आपकी पूजा सफल होगी कि नहीं वह भी गणेश भगवान के प्रसन्‍न होने पर ही निर्भर करता है। 

तो अपने पूरे परिवार के साथ भगवान गणेश के मंत्रों का जप करें और हाथ जोड़कर उनसे ज्ञान, विवेक का आशीर्वाद मांगे और साथ ही अपनी इस पूजा को सफल बनाने का वरदान भी मांगे। 

इसके बाद मां लक्ष्‍मी का पूजन प्रारंभ करें। 

दोनों हाथ जोड़ और इन मंत्रों का या इनमें से किसी भी एक मंत्र को बोलें या स्‍मरण करें। 

  • ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
  • ओम ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः
  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री महालक्ष्म्यै नमः
  • ॐ नमः भगवति महालक्ष्म्यै
  • ॐ श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

इसके बाद संभव हो तो परिवार के साथ बैठकर मां लक्ष्‍मी की कथा का पाठ या श्रवण करें। 

अब आरती की थाली तैयार करें और भगवान गणेश और मां लक्ष्‍मी की आरती करें। 

अब आता है पूजा का आखिरी चरण जिसमें हम सब हाथ जोड़कर भगवान से अपनी पूजा के दौरान हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगते हैं और उनसे हमारे यहां पर विराजने का आशीर्वाद मांगते हैं। इसके लिए जिस श्‍लोक को पढ़ा जाता है वह इस प्रकार है। 

“आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर। 

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे।” 

इस प्रकार आपकी पूजा समाप्‍त होती है। अब सभी को आरती दें प्रसाद दें और सामार्थ्‍य के अनुसार दान करें। 

Diwali धन प्राप्‍ति उपाय

Diwali मां लक्ष्‍मी की पूजन का दिन है। इस दिन कुछ उपाय हैं जो आपने कर लिए तो आपको धनवान बनने से कोई रोक नहीं सकता। ये उपाय हैं: 

  • मां लक्ष्‍मी की पूजा में ज्‍यादा से ज्‍यादा लाल रंग की वस्‍तुओं का इस्‍तेमाल करें। 
  • अपनी इस पूजा में एक श्री कुबेर यंत्र, एक महालक्ष्‍मी यंत्र भी शामिल करें और पूजा खत्‍म होने के बाद इस यंत्र को लाल कपड़े में लपेट कर धन स्‍थान में रख दें। 
  • चर्म का पर्स त्‍याग देने का संकल्‍प करें और मां लक्ष्‍मी से अब तक किए इस अपराध के लिए क्षमा मांगे। आजकल बाजार में कपड़े का पर्स उपलब्‍ध है उसका इस्‍तेमाल करें। 
  • चावल के कुछ दानों में लाल रंग की रोली मिलाकर में रखें, पूजा समाप्‍त होने के बाद इन चावलों का छिड़काव हर उस जगह में करें जहां आप पैसे रखते हैं।
  • Diwali के दिन अपने घर में झाडूं भूलकर भी न लगाएं। यदि ऐसा करेंगे तो पूरे साल बहुत खर्च होगा। 
  • Diwali के दिन दूसरों की मदद का संकल्‍प ले और यथा शक्ति जिसकी भी सहायता का अवसर मिले सहायता करें। आपके इस विचार से ही मां लक्ष्‍मी बहुत प्रसन्‍न होंगी और आप पर कृपा करेंगी। 

प्रश्‍न: Diwali 2023 में लक्ष्‍मी पूजन का समय क्‍या है।

12 नवंबर 2023 को कार्तिक मास की अमावस के दिन पूरा देश दीपावली का त्‍योहार मनाएगा। इस दिन लक्ष्‍मी पूजन के लिए शाम को 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 8 बजकर 15 मिनट तक का शुभ मुहुर्थ है।

प्रश्‍न: Diwali के पांच दिन कौन कौन से होते हैं

धनतेरस : 10 नवंबर 2023, छोटी Diwali : 11 नवंबर 2023, बड़ी Diwali (लक्ष्‍मी पूजन) : 12 नवंबर 2023, गोवर्धन पूजा : 13 नवंबर 2023, भाई दूज : 14 नवंबर 2023 ये पांच पर्व है जो दीपावली के पांच दिन कहे जाते हैं।

प्रश्‍न: क्‍या Diwali के दिन सोना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि Diwali के दिन मां लक्ष्‍मी घर में आती हैं। ऐसे में ऐसी मान्‍यता है कि घर में किसी न किसी को जागना चाहिए और पूरी रात मां लक्ष्‍मी का ध्‍यान करना चाहिए।