Ayurvedic Bhojan : आयुर्वेद में भोजन और उसके प्रकार
Ayurvedic Bhojan II आयुर्वेद के अनुसार भोजन के नियम।। सात्विक भोजन ।। राजसिक भोजन ।। तामसिक भोजन ।।
आयुर्वेद ही आज के वर्तमान चिकित्सा विज्ञान का जनक है। यह शास्त्र बीमारी को सही करने का शास्त्र मात्र नहीं बल्कि आयुर्वेद हमें अच्छी और स्वस्थ्य जीवनशैली भी प्रदान करता है। आयुर्वेद में यह कोशिश की जाती है कि व्यक्ति का खान-पान रहन सहन ऐसा हो कि वह बीमार ही न हो। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि हम क्या कितना और कब खा रहे हैं। तो आइए इस लेख में हम जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार भोजन कितने प्रकार के होते हैं और उनका क्या महत्व है।
ज्ञान की बातें शुरू करने से पहले एक श्लोक के माध्यम से समझते हैं कि आयुर्वेद भोजन को कितना महत्व देता है।
पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्
इस श्लोक में जल, अन्न और मधुर वाणी को पृथ्वी के तीन प्रमुख रत्न कहा गया है। अर्थात जल, अन्न और सुंदर बोली तीन बहुत महत्वपूर्ण वस्तुएं और इनका प्रयोग हमेशा बहुत ध्यान से करना चाहिए।
आयुर्वेद में औषधियों से ज्यादा महत्व हमारी शारीरिक गतिविधियों, हमारा पर्यावरण और हमारी इन गतिविधियों के अनुकूल Ayurvedic Bhojan पर दिया गया है। इस शास्त्र में भोजन को उनकी प्रकृति और मानव पर उनके प्रभाव के आधार पर तीन प्रकार से विभाजित किया गया है। ये प्रकार हैं ‘तामसिक’, ‘राजसिक’ और ‘सात्विक’ भोजन।
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इनमें से प्रत्येक प्रकार के भोजन का अलग महत्व और ‘गुण’ है। जो समय-समय पर मानव की जरूरत के अनुसार बदलना चाहिए। इस प्रकार यदि हम सरल आयुर्वेदिक सिद्धांतों को अपने भोजन में शामिल कर ले तो हम केवल शारीरिक स्तर पर ही नहीं बल्कि मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी शुद्ध हो जाएंगे। चलिए फिर जानते हैं क्या है तामसिक, राजसिक और सात्विक भोजन और इनमें महत्व:
Ayurvedic Bhojan: सात्विक
सात्विक शब्द संस्कृत के ‘सत्त्व’ शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है पवित्र। भोजन के संबंध में पवित्र शब्द का आशय हल्के और पके हुए ताजे भोजन से है। यह भोजन सुपाच्य होता है और शरीर के पाचन तंत्र पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त बल नहीं डालता। इस प्रकार के आहार से शरीर ऊर्जावान रहता है, दिमाग सक्रिय और शांत रहता है। इस प्रकार का खान-पान दीर्घायु भी देता है।
सात्विक Ayurvedic Bhojan शरीर को निरोगी भी रखता है। आपको यह बात जानकर आश्चर्य होगा कि मॉर्डन टाइम की डाइट चार्ट में भी Ayurvedic Bhojan में सुझाई गई चीजें सबसे ऊपर हैं। इनमें मेवे, ताजे फल और उनका रस, हल्दी, दालचीनी, धनिया, ताजी सब्जियां आदि प्रमुख हैं।
आयुर्वेद के अनुसार यह भी सिद्धांत है कि किसी भी प्रकार का भोजन सूर्योदय होने से पहले और सूर्यास्त होने के बाद नहीं खाना चाहिए।
अगर जीवनशैली से जुड़ी परेशानियां बढ़ रही हों और पेट को लेकर ज्यादा ही परेशानी हो तो आपको सात्विक Ayurvedic Bhojan और भोजन के आयुर्वेद के नियमों का पालन करना चाहिए। इससे आपको अवश्य लाभ होगा।
Ayurvedic Bhojan: राजसिक
राजसिक शब्द से प्रतीत होता है राजाओं के अनुरूप भोजन। अर्थात ऐसा Ayurvedic Bhojan जिसे करने से शरीर को गर्मी मिले और यह व्यक्ति को आंतरिक रूप उर्जित करें। राजसिक Ayurvedic Bhojan शरीर में उग्रता देता है। इस श्रेणी में ऐसे भोजन शामिल होते हैं जिनका स्वाभाव गर्म हो। इसमें प्रमुख रूप से गर्म, नमकीन, तीखे, मसालेदार खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं।
जैसा ये भोजन है वैसा ही इसका प्रभाव भी है। आयुर्वेद के अनुसार वो लोग जो शारीरिक मेहनत वाला काम करते हैं जिनकी जीवन शैली में उग्रता की आवश्यता हो उन्हें इस प्रकार का भोजन करना चाहिए। राजसिक भोजन में आमतौर पर चाय और कॉफी जैसे उत्तेजक पदार्थ, मिर्च, काली मिर्च जैसे मसाले और ब्रोकोली, फूलगोभी और पालक जैसी सब्जियां शामिल होती हैं।
ऐसे Ayurvedic Bhojan हमारे शरीर को ऊर्जा और उग्रता तो देते हैं लेकिन इसके लिए हमारे पाचन तंत्र को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए इस प्रकार के Ayurvedic Bhojan को संतुलन के अनुसार ही लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में राजसिक भोजन करने पर पानी ज्यादा पीना पड़ता है साथ ही यह शरीर मे अधिक गर्मी भी पैदा करता है जिसके परिणामस्वरूप मुंहासे, बालों की परेशानी और अनिद्रा जैसी स्थिति पैदा होती है।
आयुर्वेद के नियमानुसार अगर आप राजसिक भोजन कर रहे हैं तो शारीरिक श्रम भी अधिक होना चाहिए जिससे पाचन तंत्र उस भोजन का संपूर्ण रस आपके शरीर तक पहुंचा सके और इसके अन्य दुष्प्रभाव शरीर को न भोगने पड़े।
Ayurvedic Bhojan: तामसिक
तामसिक शब्द ‘तमस’ से बना है। संस्कृत के इस शब्द का अर्थ अंधकार होता है। इस प्रकार आयुर्वेद में तामसिक भोजन ऐसे भोजन को कहा गया है जो व्यक्ति को अंधकार में ले जाए। तामसिक आहार को हमारे मन, शरीर और आत्मा के लिए अरुचिकर और हानिकारक माना जाता है।
इस प्रकार के भोजन के पाचन में शरीर को बहुत मेहनत करनी होती है इसलिए शरीर की दूसरी गतिविधियां प्रभावित होती है। जिस कारण से मन भारी, चिढ़चिढ़ापन अथवा राक्षसी प्रवृत्ति उत्पन्न होती है। ये खाद्य पदार्थ व्यक्ति को सुस्त, निद्रा से ग्रसित बना देते हैं, मन अशांत रहता है जोकि अंतत: अवसाद का कारण बन जाती है।
मांस, मछली, अंडे, तम्बाकू, प्याज, लहसुन, सिरका और शराब सभी तामसिक भोजन हैं। ये शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। आयुर्वेद यह भी प्रतिपादित करता है कि क्रोध के साथ पकाया या परोसा गया भोजन खाने से हमें कोई लाभ नहीं मिलता है और इसलिए भोजन विषाक्त या तामसिक हो जाता है।
निष्कर्ष
आधुनिक दुनिया की वास्तविकता यह है कि ऐसी तामसिक वस्तुएं नियमित भोजन की आदतों के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर रही हैं और तेजी से बुढ़ापा, अनिद्रा, पाचन संबंधी समस्याएं और बेचैनी की भावना पैदा कर रही हैं।
आयुर्वेद में Ayurvedic Bhojan को बड़ा महत्व दिया गया है। यहां तक की भोजन बनाते समय या परोसते समय भी मनोदशा का सीधा प्रभाव भोजन के पोषण पर पड़ता है। आयुर्वेद का यह भी मानना है कि भोजन सही करके शरीर के कई विकारो को खत्म किया जा सकता है।
इसलिए भोजन में सुधार करके शरीर और मन दोनों को सेहतमंद किया जा सकता है।
Annual Horoscope of Year 2023
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मेष– चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ | राशि रत्न मूंगा | राशि रुद्राक्ष 3 मुखी |
वृष– ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो | राशि रत्न ओपल | राशि रुद्राक्ष 6 मुखी |
मिथुन– का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह | राशि रत्न पन्ना | राशि रुद्राक्ष 4 मुखी |
कर्क– ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो | राशि रत्न मोती | राशि रुद्राक्ष 2 मुखी |
सिंह– मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे | राशि रत्न माणिक | राशि रुद्राक्ष 1 मुखी |
कन्या– ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो | राशि रत्न पन्ना | राशि रुद्राक्ष 4 मुखी |
तुला– रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते | राशि रत्न ओपल | राशि रुद्राक्ष 6 मुखी |
वृश्चिक– तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू | राशि रत्न मूंगा | राशि रुद्राक्ष 3 मुखी |
धनु– ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे | राशि रत्न पुखराज | राशि रुद्राक्ष 5 मुखी |
मकर– भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी | राशि रत्न नीलम | राशि रुद्राक्ष 7 मुखी |
कुंभ– गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा | राशि रत्न नीलम | राशि रुद्राक्ष 7 मुखी |
मीन– दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची | राशि रत्न पुखराज | राशि रुद्राक्ष 5 मुखी |