सूर्य जैसा तेज़, राजनीतिक जीवन में सफलता और सम्मान प्रदान करने वाला रत्न माणिक 

सूर्य जैसा तेज़, राजनीतिक जीवन में सफलता और सम्मान प्रदान करने वाला रत्न माणिक 

माणिक जिसे अंग्रेज़ी में Ruby कहते है राजाओं का रत्न है। प्राचीन काल में इस रत्न को राजा अपने मुकुट में लगवाते थे। इस रत्न को धारण करने से सूर्य के शुभफल मिलते हैं जिनमे सबसे प्रमुख आपका मुखिया होना है। आप जहाँ रहते हैं वहाँ लोग आपके आस पास रहकर आपकी पावर और रुतबे का लाभ उठाना चाहते हैं। आपको आपके तेज़ के कारण ही सम्मान भी मिलता है। 

आइए एक नज़र डालते हैं कि कौन धारण कर सकता हैं माणिक :

सूर्य अगर शुभ भाव में अर्थात 1,5, 9 और 10वें भाव में हो या इनका स्वामी हो तो आप माणिक धारण करें। मेष, सिंह, वृश्चिक और धनु लग्न में भी सूर्य शुभ होता है। 

सूर्य लग्नेश का मित्र हो या स्वराशि का हो या उच्च का सूर्य हो अर्थात कर्क या मीन में हो तो माणिक धारण करना लाभकारी होता है। 

लेकिन अगर सूर्य 6,7,8 या 12 वें भाव का स्वामी हो तो आपको मानिक बिलकुल भी नही धारण करना चाहिए। लेकिन अगर सूर्य शुभ हो लेकिन पीड़ित हो या अशुभ भाव में हो इसे बल देने के लिए माणिक धारण करने की सलाह दी जाती है।

माणिक धारण करने के लाभ: 

सूर्य के इस रत्न को धारण करने से सरकारी नौकरी की संभावनाएँ प्रबल होती है। ये उच्च पद, पिता, आत्मा, व्यवसाय और शक्ति का कारक है। इसलिए अगर आप राजनीति में, उच्च पदों पर, प्रबंधन आदि के क्षेत्र में कुछ बेहतर करना चाहते हैं तो माणिक आपके लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। बड़े व्यापार और कारख़ाने, प्रबंधन या प्रशासकीय अधिकार, भौतिक वैज्ञानिक, औषधि, न्यायालय, आभूषण, पुश्तैनी कारोबार आदि के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए आप इस रत्न ज़रूर धारण करें। 

अगर आप मस्तिष्क, हृदय, आँखो और हड्डी से समबंधित रोगों से ग्रस्त हैं तो भी माणिक आपके लिए बहुत लाभ कारी होगा। 

धारण करने सम्बंधी जानकारी: 

Woman and ruby diamond ring.

अगर आप माणिक धारण कर रहे हैं तो ध्यान रखें की मानिक का वज़न कम से कम 3 कैरेट का होना चाहिए। कुछ ज्योतिषाचार्य आपके वज़न के दसवें हिस्से जितना धारण करने की सलाह भी देते हैं। 

इसे सोना या ताम्बा धातु में अपने सीधे हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए। इसे गले में पेंडेंट के रूप में भी धारण कर सकते हैं। 

इस रत्न को रविवार के दिन या सूर्य के नक्षत्र में धारण करना चाहिए। 

माणिक का उपरत्न: 

आप सोच रहे होंगे की उप-रत्न की क्या ज़रूरत है तो इस बात को समझना ज़रूरी है की माणिक एक बहुत महँगा रत्न है। तो सब लोग इसे धारण कर सके ये सम्भव नही है। इसलिए कुछ प्रकृतिक उपरत्न हैं जो माणिक जैसा ही लाभ देते हैं। इनमे गार्नेट, रुबेलाइट प्रमुख हैं। लेकिन इन उप-रत्नो का वज़न कम से कम 6 रत्ती हो या वज़न के 10वें हिस्से का दोगुना हो। 

सावधानियाँ: 

माणिक रत्न को नीलम, हीरा, गोमेद और लहसुनिया के साथ नही धारण करना चाहिए। 

अगर जातक को तेज़ बुखार, हाई ब्लड प्रेशर, संक्रामक रोग हों तो भी माणिक नही धारण करना चाहिए। 

बाज़ार में उपलब्ध माणिक :

बाज़ार में New Burma और Burma का रूबी आता है। Burma का रूबी बहुत ही अच्छा माना जाता है लेकिन इसकी क़ीमत बहुत ज़्यादा होती है। सामान्य रूप से बर्मा का रूबी 10,000 रु प्रति रत्ती से शुरू होता है और इसकी अधिकतम क़ीमत कितनी भी हो सकती है। 

जबकि न्यू बर्मा का रूबी का बर्मा की तुलना में बहुत कम क़ीमत का होता है। न्यू बर्मा के माणिक अपना प्रकृतिक गुण तो नही खोते लेकिन इन्हें इस्तेमाल के लायक तैयार करने के लिए एक प्रॉसेस से होकर गुज़रना होता है जिसे ग्लास फ़िलिंग कहते हैं। अधिकतर लोग इसी रत्न को धारण करते हैं क्युकी बर्मा का माणिक अपनी क़ीमत के कारण सामान्य लोगों की पहुँच से बाहर है।

इसके अलावा मोज़ाम्बिक और अफ़्रीका के माणिक भी बाज़ार में हैं लेकिन इनकी माँग बहुत कम है। जिस कारण से इनकी क़ीमत भी 2500 रु प्रति रत्ती से शुरू हो जाती है। 

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