कैसे पहचानें मंगल ग्रह के अशुभ फल और क्या करें उपाय
मंगल ग्रह को वेदिक ज्योतिष में क्रूर ग्रह कहा गया है। ये तेज़, ऊर्जा तथा सुख को बढ़ाने वाला ग्रह है। शुभ मंगल आपको बीमारी से और क़र्ज़ से दूर रखता है, आपको अपने काम और मेहनत का पूरा फल मिलता है, अपना मकान और गाड़ी होता है, दुर्घटनाओं से सुरक्षा रहती है अर्थात जीवन हर प्रकार के डर से मुक्त रहता है।
लेकिन क्या होता है अगर मंगल ग्रह शुभ फल ना दे रहा हो तो ?
ऐसे जातक जिनकी कुंडली में मंगल कमज़ोर हो वो हमेशा डर के साये में रहते हैं। ऊर्जा की कमी रहती है, किसी भी काम को ऊर्जा और पूरी क्षमता से नही कर पाते ऐसे में इन्हें सफलता नही मिलती है। ये हमेशा सोच और कर्म के लिए किसी के अधीन रहते हैं। इनकी संगत ख़राब हो जाती है और इन्हें ग़लत आदतें बहुत जल्द लग जाती हैं। आपकी अपनी सोच कितनी भी अच्छी क्यूँ ही ना हो लेकिन उसे कभी आगे बढ़कर दूसरों को बता नही पाते। इनमे आत्म विश्वास की इतनी कमी होती है कि दूसरे लोग इन्हें कभी ठीक से सुनते ही नही हैं।
इतना ही नही लोग इनका इस्तेमाल करते हैं जिससे ये पुलिस जेल मुक़दमों आदि में उलझ जाते हैं।
सावधानियाँ:
- आपको आग से बचाव करना चाहिए। जिनका मंगल ग्रह कमज़ोर होता है उनको अग्नि भय होता है। इसलिए आग आदि से सावधान रहें।
- मंगल कमज़ोर हो तो आंतरिक रक्त स्राव की सम्भावनाएँ बहुत प्रबल होती हैं इसलिए आपको सावधान रहना चाहिए और अपने खान पान आदि को संतुलित रख कर समय समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते रहना चाहिए।
- शरीर में रक्त की कमी भी मंगल के कमज़ोर होने से हो जाती हैं। इसलिए इसका भी ध्यान आपको रखना चाहिए।
- चोट लगती है, सड़क में दुर्घटनाओं की सम्भावना रहती हैं इसलिए वाहन आदि को बहुत सम्हाल कर चलना चाहिए।
- पुरुषों में कमज़ोर मंगल यौन ऊर्जा में कमी करता है तथा मांशपेशीयों को भी कमज़ोर कर देता है। इसलिए ज़रूरी है कि अपने स्वास्थ्य का हर प्रकार से ध्यान रखें।
कब होता है मंगल ग्रह कमज़ोर:
- वेदिक ज्योतिष के अनुसार आपकी कुंडली में मंगल को कमज़ोर कहा जाएगा जब वह अपनी नीच राशि कर्क में हो या शत्रु राशि वृष, कन्या और तुला में हो।
- मंगल ग्रह और सूर्य के बीच अगर 17 डिग्री से काम का अंतर हो तो मंगल ग्रह को अस्त माना जाता है। इससे वह अपने नैसर्गिक तत्व जातक को नही दे पता है। ऐसी स्थिति में में भी मंगल को कमज़ोर कहा जाएगा।
- जब मंगल ग्रह किसी पापी ग्रह शनि या राहु से युती करे या उनकी दृष्टि में हो तो भी ये कमज़ोर हो जाएगा और अपने शुभ फल नही दे पाएगा।
- कुंडली के 5वें, 8वें, 9वें और 12वें भाव में अगर मंगल ग्रह है तो भी ये कमज़ोर माना जाता है और अपने शुभ फल नही दे पाता है।
मंगल ग्रह से समबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:
- मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न के लिए सामान्य रूप से मंगल शुभ फल देने की स्थिति में रहता है।
- मंगल जातक के मानसिक और मांसपेशी से समबंधित शक्ति, उसकी इच्छाएँ, यौन ऊर्जा, चरित्र और नेतृत्व के गुणों का कारक ग्रह है।
- मंगल अपने तथा गुरु के नक्षत्र में हो तो शुभ फल देता हैं। ये अच्छा स्वास्थ्य और मज़बूत आत्म विश्वास देता है।
- सूर्य के नक्षत्र में हो तो रक्त में कमी तथा रक्त में विकार देता है।
- चंद्र के नक्षत्र में त्वचा और रक्त से जुड़े रोग देता है।
- बुध के नक्ष्ट्र में मानसिक विकार देता है।
- शुक्र के नक्षत्र में यौन रोग तथा नैतिक मूल्यों में कमी करता है।
- शनि के नक्षत्र में आत्महत्या और दुर्घटनाओं को बढ़ावा देता है।
- राहु के नक्षत्र में विकृत यौन व्यवहार, हिंसा, दुर्घटना और मृत्यु तक की नौबत आ जाती है।
- केतु के नक्षत्र में उच्च रक्त चाप और चिडचिड़ापन देता है।
अगर मंगल ग्रह शुभ स्थिति में नही है और शुभ फल नही दे रहा है तो आपको हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा आपको मूँगा धारण करने से भी बहुत शुभफल मिलेंगे। तीन मुखी रुद्राक्ष की माला में मंगल के मंत्रों का जप भी आपको बहुत लाभ देगा।
अगर आपका मंगल शुभ स्थिति में है और ग्रह गोचर की किसी परेशानी के कारण आपको इसका शुभ फल नही मिल पा रहा है तो आपको चामुण्डा माँ अथवा भद्र काली की पूजा करनी चाहिए और काले मनकों की माला (ज्वालामुखी के राख से बने मनकों की माला) धारण करनी चाहिए या उसमें माँ चामुण्डा के मंत्रो से जप करना चाहिए।
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