7 मुखी रुद्राक्ष शनि शांति और निर्बाध कार्य प्रगति के लिए
एक मुखी रुद्राक्ष के बाद ये सबसे ज़्यादा लाभकारी रुद्राक्ष माना जाता है. इसे अनंत रुद्राक्ष भी कहते हैं क्युकी ये सभी सातों आवरण जैसे अग्नि, भूमि, जल, वायु, आकाश, आग और अँधेरा का प्रतीक माना जाता है. इसके आदिदेव सप्तऋषि और देवी लक्ष्मी हैं. ग्रहों में इसे शनिदेव से सम्बंधित माना जाता हैं. इसके प्रयोग से जातक को धन-धान्य, सम्मान और अध्यात्म की शक्ति प्रदान होती है.
ज्योतिष और सात मुखी रुद्राक्ष:
सात मुखी रुद्राक्ष का वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्व है. ये जहाँ एक ओर माँ लक्ष्मी के स्वरुप के तौर पर पूजा जाता हैं तो वही दूसरी ओर शनि के दुष्प्रभावों को कम करता है.
ऐसा माना जाता है कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व जन्म और इस जन्म के गंभीर पाप जैसे गौ-हत्या, चोरी, तस्करी आदि ख़त्म हो जाते हैं.
वैदिक ज्योतिष में शनि शांति के उपाय के रूप में इसे शनि की महादशा, अन्तर्दशा आदि में धारण किया जाता है.
लाभ:
इसे शनि शांति के लिए धारण करना बहुत लाभकारी होता है. साथ ही अगर आप माँ लक्ष्मी के उपासक हैं और उनको प्रसन्न करना चाहते हैं तो भी ये रुद्राक्ष को धारण करना या इसकी माला को धारण करना आपके लिए बहुत लाभकारी होता है.
अगर आप व्यापार में सुधार चाहते हैं और अपने नगद लेन-देन में गति चाहते हैं तो भी आपको ये ज़रूर धारण करना चाहिए।
धारण करने वाले को घरेलू सुख, परिवार का प्रेम और संतान की प्राप्ति होती है. 7 मुखी रुद्राक्ष यौन शक्ति भी बढाता है और विपरीत लिंग के लोगों को आकर्षित भी करता हैं.
धारण विधि
इस रुद्राक्ष को सोमवार या शनिवार के दिन सुबह पूजा के बाद काले धागे में सोने या चांदी में मढ़वाकर या केवल धागे के साथ शिव जी के आशीर्वाद से मनोकामना पूर्ति के लिए धारण किया जाता है. धारण करने के लिए इसका मंत्र है ॐ हूं नमः और धारण करने के बाद प्रातः काल पूजा में आप ॐ अनंताये नमः ज़रूर बोलें।
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